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( ७७ ) जिसका वंशवृक्ष
कीर्तिपाल
संग्रामसिंह
उदयसिंह (जालौर पर)
मानसिंह (सिरोही गया)
प्रतापसिंह
विजल
महाराव लुभा
(आबु का राजा हुआ) इस खुर्शी नामा से स्पष्ट सिद्ध होता है कि विक्रम की चौदहवीं शताब्दी में सिरोही के चौहान आबु के पँवारों से बाबु का राज छीन कर अपना अधिकार जमाया था जिसको यतिजी ने बारहवी शताब्दी लिख मारी है बलीहारी है यतियों के गप्प पुराण की___ अब सागर रांणा और मालवा का बादशाह का समय का अवलोकन कीजिये यतिजी ने सागर का समय वि० सं० ११७० के आस पास का लिखा है और "चिंतोड़ पर मालवा का बादशाह चढ़ आया तब चितोड़ का राणा अपनी मदद के लिये आबु से सागर देवड़ा को बुलाया और सागर ने बादशाह को पराजय कर उससे मालवा छीन लिया।"