Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 87
________________ ( ७५ ) आगे चल कर सागर का पिता सावंतसिंह देवड़ा का जालौर पर राज होना यतिजी ने लिखा है इसमें सत्यता कितनी है ? सावंतसिंह सागर का पिता होने से उसका समय वि० सं० ११५० के आस पास का होना चाहिये क्योंकि सागर का समय वि० सं० ११७० का है यतिजी का लिखा हुआ वि० सं० ११५० में सावंतसिंह देवड़ा तो क्या पर देवडा शाखा का प्रार्दुभाव तक भी नहीं हुआ था वास्तव में दवेडा शाखा विक्रम की तेरहवीं शताब्दी में चौहान देवराज से निकली है जब यतिजी वि० सं० ११५० के आस पास जालौर पर सावंतसिंह देवडा का राज बत लाते हैं यह भी एक सफेद गप्प ही है । अब वि० सं० ११५० के आस पास जालौर पर किसका राज था इसका निर्णय के लिये जालोर का किल्ला में तोपखान के पास भीत में एक शिला लेख लगा हुआ है उसमें जालौर के राजाओं की नामावली इस प्रकार दी है। जालौर के पँवारराजा विशलदेव का उत्तराधिकारी पँवार चन्दन कुन्तपाल वि० सं० १२३६ तक जालौर देवराज पर राज किया बाद नाडोल का चौहान अप्राजित कीर्तिपाल ने पँवारों से जालौर का राज विजय | छीन कर अपना अधिकार जमा लिया। धारा वर्ष सभ्य समाज समझ सकते हैं कि विक्रम विशल देव (११७४) की ग्यारवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक जालौर पर पँवारों का राज रहा था जिसका प्रमाण वहाँ का शिला लेख दे रहा है फिर यतिजी ने यह अनर्गल गप्प क्यों यारी है।

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