Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ ( ४४ ) उपकेशगच्छ चरित्र में इस विषय का एक उल्लेख मिलता राजादि लोकैरेवंत पूज्य मानो महामुनिः । सपाद लक्ष विषये, विजहार कदाचन् ।४०३। तदा खरातराचार्य, श्री जिनपति सूरिभिः । साद्धं विवादो विदधे, गुरु काव्याष्टकःच्छले ।४०४। श्रीमत्य जयमेाख्ये, दुर्गे विसल भूपतेः । सभायां निर्जितायेन, श्रोजिनपति सूरयः ।५०॥ 'उपकेशगच्छ चरित्र" रचना वि. स. १३९१ .. पह्मप्रभ वाचक और खरतराचार्य जिनपतिसूरि के अजमेर का राजा विसलदेव की सभा में शास्त्रार्थ हुआ जिसमें वाचकजी ने जिनपतिसूरि को परास्त किया। . ... शायद उपकेशगच्छीय मंत्री उधरण के कराया हुआ मंदिर की प्रतिष्टा कर जिनपतिसूरि ने पूर्वाचार्यों के नियम का भंग करने के कारण ही उपकेश गच्छीय वाचकवर्य ने राजसभा में जिनपतिसूरि की इस प्रकार खबर ली हो । खैर कुछ भी हो पर खरतरों ने इस प्रकार के छल प्रपंच से ही अन्य गच्छीय श्रावकों को इधर उधर से ले कर अपनी दुकानदारी जमाई है इसका यह खरतर पट्टावलि का एक उदाहरण हैं आगे और भी देखिये। ... (२) गुड़ा नगर में कोरंट गच्छीय शाह रामा संखलेचा ने एक पार्श्वनाथ का मन्दिर बनाया, और प्रतिष्ठा के लिए कोरंटगा छाचार्य को आमन्त्रण भेज़ बुलवाया, और रामाशाह की पत्नी खरतर गच्छीय श्रावक की बेटी थी, जब वह अपने पिता

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102