Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

View full book text
Previous | Next

Page 71
________________ ( ५९ ) ऊपर लिख भी आए हैं। देखो इसी किताब के पृष्ठ ८ पर । यह उपकेशवंश उपकेशपुर, एवं उपकेशगच्छ से संबंध रखता है या खरतर गच्छ से ? २ - रत्नप्रभसूरि नहीं हुए, और रत्नप्रभसूरि ने श्रसियाँ में सवाल नहीं बनाये तो आप यह बतलावें कि इस जाति का नाम सवाल क्यों हुआ है ? ३ – यदि खरतरों ने ही श्रोसवाल बनाये हों तो खरतर शब्द की उत्पत्ति विक्रम की बारहवीं शताब्दी में हुई जब इसके १००० पूर्व आचार्य हेमवन्तसूरि हुए जो प्रसिद्ध खन्दिलाचार्य के पट्टधर थे उन्होंने अपनी पट्टावली में यह क्यों लिखा कि "भगवान् महावीर के निर्वाण से ७० वर्ष के बाद पार्श्वनाथ की परम्परा के छट्ठ े पट्टधर आचार्य रत्नप्रभसूरि ने उपकेश नगर में १८०००० क्षत्रिय पुत्रों को उपदेश दे कर जैनधर्मी बनाया यहां से उपकेश नामक वंश चला" X x X आगे चल कर इसी पट्टावली में लिखा है कि " मथुरा निवासी श्रोसवंश शिरोमणि श्रावक 'पोलाक ' ने गन्धहस्ती विवरण सहित उन सर्व सूत्रों को ताड़पत्र आदि में लिखवा कर पठन पाठन के लिए निग्रन्थों को अर्पण किया इस प्रकार जैन शासन की उन्नति कर के स्थविर श्रार्य स्कन्दिल त्रिक्रम संवत् २०२ में मथुरा में ही अनसन करके स्वर्गवासी हुए हैं ।" " इतिहासज्ञ मुनि श्री कल्याण विजयजी म० ने हेमवन्त x

Loading...

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102