Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 44
________________ पगारिया x | बंब कोठारी गंग खीवसरा (७) पूर्णमियागच्छ — इस गच्छ में चन्द्रसूरि, धर्मघोषसूरि, मुनिरत्नसूरि, सोमतिलकसूरि आदि कई प्रभाविक आचार्य हुए और इस गच्छ के श्राचार्यो ने भी कई अजैनों को जैन बनाया हैं । इनकी बनाई हुई जातियें ये हैं: - साँढ गिरिया ( ३२ ) मालू डागा गेहलड़ा चण्डालिया साचेला धनेरा पुनमिया ( ८ ) नाणावाल गच्छ — इस गच्छ में भी कई प्रभाविक आचार्य हुए हैं जैसे:- शान्तिसूरि, सिद्वसूरि, देवप्रभसूरि वगैरह । और इन्होंने भी कई जैनों को जैन बनाए । जैसेरणधीरा कावड़िया सियाल मोधारणा ढा (श्रीपत्ति) (तेलेड़ा) कोठारी *-+-+- श्री श्रीमाल, दुघड़ चंडालिया और नक्षत्र जातियों उपकेशगच्छाचार्यों प्रतिबोधित हैं या तो इस जाति के नाम की अन्य गच्छीय श्रावक मैं कइ शाखाएँ निकली हो या निकट वर्ती रहने से वंशावलियों के लिखने के कारण तथा एक गच्छ वालों की वंशावलियों लिखने के लिए इधर की उधर वंशावलियाँ देदी हों यही कारण है कि एक गोत्र जाति का नाम कइ दूसरे गच्छों में भाता है । - नाहर यह सुराणा गच्छ में भी नाम आता है एक शिला लेख में नहारों के चैत्र गच्छीय होना भी लिखा है +-+- बँब गँग कँदरसा गच्छाचार्य प्रतिबोधिक भी कहा जाता है खीवसरा का मूल गच्छ कोरण्ट गच्छ है यह खीवसरा या तो किसी मूलगोत्र की शाखा है या किसी अन्य कारण से कहलाया है । *

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