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( ३० ) गोहलाणि । रूणिवाल छलाणि छोरिया (नौलखा) (वैगाणी) (छजलाणि) । (सामड़ा) (भूतोडिया) हिंगड़ (घोड़ावत)। लोढ़ा पीपाड़ा (लिंगा) हीराऊ । सूरिय्य (हिरण)
रायसोनी | (केलाणि) (मठा) (गोगड़) । झाबड़ | गोखरू- नाहर के (शिशोदिया) | (झाबक) (चौधरी) जड़िया श्री श्रीमाला | दुगड़ जोगड़ नक्षत्र । __इन जातियों की वैंशावलिएँ खराड़ी, वलून्दा, पाद और नागौर के नागपुरिया तपागच्छोय महात्मा लिखते हैं । और उनके पास पूर्वोक्त जातियों की उत्पत्ति और खुर्शीनामा भी मिलता है।
(४) बृहद् तपागच्छ-इस गच्छ में भी जगञ्चन्द्र-सूरि देवेन्द्रसूरि, धर्मघोषसूरि, सोमप्रभसूरि, सोमतिलकसूरि, देवसुन्दरसूरि, सोमसुन्दरसूरि, मुनि सुन्दरसूरि, रत्न शेखरसूरि आदि महान् प्रभाविक दिग्विजय कर्ता आचार्य हुए हैं । इन्होंने जैनधर्म की कीमती सेवा की और कई अजैनों को जैन भी बनाये । इनकी उपासक जातियों के नाम संक्षिप्त में यह है:वरदिया | छत्रिया . खजॉनची चौधरी : (वरड़िया) लालाणी डफरिया सोलकी वरहुदिया) ललवाणी
| गुजरांणी बाठिया गाँधी सँधी . कछोला (शाह) राज गाँधी । मुनौयत मरड़ेचा (हरखावत) ( वैद गाँधी पगारिया सोलेचा
। सालक
बुरड़