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( २९ ). सौभाग्य मिला था। उसमें निम्नलिखित गोंत्रों की उत्पत्ति और उनके किए हुए धर्म कार्यों का विस्तार से वर्णन है। मैं आज कोरंट गच्छोंपासकों की जातियाँ लिख रहा हूँ। यह सब उस प्राचीन बही दखने का ही मधुर फल है। कोरंट गच्छोपासक जातियों के नाम ये हैं:
सहाचेती नागणा खीमणदिया
वड़ेरा
माडोत अँगेचा रातड़िया वोत्थरा (बच्छावत) "मुकीम" (फोफलिया) कोठमी कोटडिया कपुरिया
धाड़ीवाल धाकड़ धूव गोता नाग गोता नारा सेठिया धरकट खीवसरा मथुरा मिन्नी
| सोनेचा मकबारणा फितूरिया खाविया सुखिया सखलेचा डागलिया पाडू गोता पोसालेचा बाकुलिया
जोगणेचा सोनाणा आड़ेचा चिंचड़ा निवाड़ा । एवं कुल ३९
इन गोत्रों की शाखा प्रतिशाखाएँ कितनी हुई हैं ? वे फिर कभी समय पा कर लिखी जायगी ।
(३) नागपुरिवा तपागच्छ-इस गच्छ में वादी देव सूरि, पद्मप्रसूरि, प्रश्नचन्द्रसूरि, गुणसमुद्रसूरि, विजय शेखर'सुरि, वगैरह महान् प्रभाविक आचार्य हुए और उन्होंने कई अजैनों को जैन बनाये-उनकी बनाई हुई जातियों के नाम ।