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( १२ ) कुंभटः कान्यकुब्जौऽथ, डिडुभाख्योऽष्टमोऽपिच।१७१। तथाऽन्यः श्रेष्टि गोत्रोयो, महावीरस्य वामतः ।।
"उपकेश गच्छ चरित्र"
___ "तातेड़, बाफना, करणावट, बलाह, श्रीश्रीमाल, कुलभद्र, मोरख, वीरहठ और श्रेष्ठि इन नौ गोत्रों वाले महावीर की मूर्ति के दक्षिण की ओर पूजापा लिये खड़े थे । तथाः
"संचेति, आदित्यनाग, भूरि, भाद्र, चिंचट, कुम्भट, कान्यकुब्ज, डिडू और लघुश्रेष्ठि इन नौ गोत्रों वाले भगवान महावीर की मूत्ति के वाम पार्श्व में खड़े रहे थे। अनन्तर स्नात्र करवाया था। इन अठारह गोत्रों के कहाँ तक पुण्य बढे, और ये कहाँ तक फूले फले ? वह निम्न लिखित इनको शाखा प्रति शाखाओं की तालिका से आप अनुमान कर सकेंगे।
(१) मूल गोत्र तप्तभट:--( उत्पति वीरात् ७० वर्ष )
तातेड़
तलवाड़ा नरवारा संघवी
नागड़ा पाका हरसोत
तोडियाणि चौमोला कौसिया धावड़ा चैनावत
मालावत सुरती जोखेला पांचावत विनायका | साठे रावा
| डूगरिया
केलाणी
चौधरी रावत
एवं कुल २२
शाखाएँ