Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

Previous | Next

Page 7
________________ प्राप्त हुई है, अतः उसको ही विशेष रूप से लक्ष्य में रखकर उपरोक्त सूत्र में जीवन-सन्देश दिया गया है कि उसे परस्पर सहयोग करते हुए अपना जीवन बिताना चाहिए । अतः इस सूत्र को संक्षेप, किन्तु सार रूप में जैनधर्म का जीवन-सन्देश कहा जा सकता है। सहकारिता, सह-अस्तित्व और सहयोगी भावना के अन्य सभी सिद्धान्त इसी बीज-सूत्र के फल-फूल हैं जो आज सम्पूर्ण विश्व में मान्यता प्राप्त हैं और मानवविकास का मूलाधार हैं। जीओ और जीने दो _भगवान महावीर ने मानव-मात्र को आय तुले पयासु-अपने तुल्य सबको समझो, का आधारभूत सिद्धान्त दिया है जो आधुनिक परिवेश में 'जीओ और जीने दो' के रूप में सर्वत्र प्रचारित हो रहा है। हम स्वयं सुख से जीते हैं और अन्य किसी व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न नहीं करते हैं, तो भगवान महावीर के

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68