Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 10
________________ के ही 'जीओ और जीने दो' की अनुगूंज सुनाई दे रही है। भगवान महावीर के इस सिद्धान्त को हमें जीवन के विशाल परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। ___ जीवन का आयाम बहुत विस्तृत है और वह भी विशेष रूप से मानव-जीवन का। इसका कारण यह है कि पशु-पक्षी-कीट और अन्य क्षुद्र प्राणी केवल शारीरिक स्तर पर ही जीते हैं। जबकि मनुष्य शारीरिक स्तर पर तो जीता ही है। साथ ही मानसिक, बौद्धिक, वैचारिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर भी जीता है। नैतिकता और चरित्र का भी उसकी जीवन-प्रणाली में विशेष स्थान है। वह सिर्फ जीवन ही नहीं जीना चाहता अपितु सुखदं, समृद्ध और सभी प्रकार से उन्नत जीवन जीना चाहता है। उसकी इच्छा है-समाज में उसे मान-सम्मान प्राप्त हो, लोग आदर-सत्कार करें, उसे प्रामाणिक समझें तथा अग्रगण्य स्थान दें। इस सबके लिए ही उसे जैन धर्म के जीवन-सन्देश की आवश्यकता है कि वह दूसरों की उन्नति और समृद्धि में भी सहयोगी बने।Page Navigation
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