Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 63
________________ की प्याली में डूब गये, जर्जर होकर मर गये। शराब की आदत एक ऐसी बुरी लत है जो मानव शरीर को छलनी बना देती है। शराबी सभी प्रकार के कुकर्म करता है। वह अपने घर को तो बरबाद करता ही है, सामाजिक शांति को भी भंग कर देता है। अपने परिवार के लिए भी काँटे बो देता है। शराब वेश्यागमन और चोरी के लिए व्यक्ति को उकसाती है। पैसों के लिए वह चोरी करता है और अधिक धन पा जाने पर वह उसका दुरुपयोग वेश्यागमन में करता है। वेश्या समाज की ऐसी गन्दी नाली है, जहाँ कामी पुरुष अपने को गन्दगी से लिप्त करते हैं और तन-धन की होली जलाते हैं। शिकार मानव की उस क्रूर वृत्ति का द्योतक है, जिसमें हिंसा की प्रधानता होती है। हिरन आदि निरीह पशु तथा चिड़िया, कबूतर आदि भोले पक्षी शिकारियों का निशाना बनते हैं। मछली को काँटे में फंसाना भी शिकार का ही एक रूप है। शिकारी व्यक्ति क्रूर तो होते हीPage Navigation
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