Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ ६२ हैं। लेकिन यदि शिकार किया जाने वाला पशु शक्तिशाली हुआ अथवा शिकारी का निशाना चूक जाता है तो उसके प्राणों पर आ बनती हैं। ऐसे रिस्की गेम को मानव खेलता ही क्यों है ? शायद इसीलिए कि उसकी जिह्वा इन्द्रिय की तृप्ति हो । परस्त्रीगमन तो वेश्यागमन से भी बुरा है। परस्त्री- गामी की समाज में बहुत दुर्दशा होती है । रावण का कितना बुरा अन्त हुआ, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। व्यसनों का सबसे बुरा प्रभाव यह होता है कि ये मनुष्य को पाँचों पापों की ओर अग्रसर करते हैं अथवा इन्हें पाँचों पापों की पूर्वपीठिका कहा जा सकता है। कहा जाता है कि व्यसनी की पाँच पीढ़ी दुख भोगती हैं । व्यसनी के माता-पिता, दादा-दादी उससे दुखी होते हैं, और व्यसनी की संतान पुत्र-पौत्र परिवार भी समाज में नीची दृष्टि से देखे जाते हैं। मांसाहार और शिकार तो हिंसा हैं ही,

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68