Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 62
________________ ६० पार्टी अथवा अमुक उम्मीदवार जीतेगा या हारेगा, अमुक दल के इतने ( संख्या में ) सदस्य जीतेंगे आदि। इस पर भी लाखों करोड़ों रुपयों की हार-जीत हो जाती है। प्रत्यक्ष दर्शी जानते हैं कि इस प्रकार के सौदों में जो हार जाता है, वह बरबाद हो जाता है । उसके दुकान, मकान भी बिक जाते हैं, बच्चे दाने-दाने को मोहताज हो जाते हैं। विदेशों में बड़े-बड़े होटल जूआघर "केसीनो” बढ़ते जा रहे हैं, जहाँ मनोरंजन के लिए या धनपति बनने के लिए लोग जाते हैं परन्तु रोते हुए फकीर बनकर निकलते हैं । मांस, मानव का भोजन ही नहीं है, यह राक्षसी भोजन है। मांसाहारी व्यक्ति में करुणा, दया, कोमलता आदि मानवीय गुणों की हानि हो जाती है, वे ठहर ही नहीं पाते, उनका स्थान क्रूरता, कठोरता आदि दुर्गुण ले लेते हैं। मांसाहार से अनेक रोग भी हो जाते हैं। - मद्यपान से कितने परिवार नष्ट हुए हैं, गिनती नहीं की जा सकती । एक अनुसंधान कर्त्ता के अनुसार जितने व्यक्ति युद्ध कीज्वालाओं में मरे उनसे कई गुने अधिक शराब

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