Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 22
________________ उत्सर्जित डीजल-पेट्रोल की गन्ध से भरे धुएँ ने वायु को इतना प्रदूषित कर दिया है कि स्वच्छ वायु का अभाव-सा हो गया है। आज मानव साँस लेते हुए प्राणवायु के साथ कार्बन-डाईऑक्साइड भी फेफड़ों में भरता है। परिणामस्वरूप उसकी जीवनी शक्ति में कमी आ रही है। रोग प्रतिरोधक शक्ति का ह्रास हो रहा है, शारीरिक क्षमता में गिरावट आ रही है। वायु प्रदूषण का एक अन्य भयंकर परिणाम वायुमंडल को दूषित करना है, ओजोन परत टूट रही है. इसके भयंकर परिणाम होंगे। वैज्ञानिक भी चिन्तित हैं कि ओजोन परत यदि अधिक टूट गई तो पृथ्वी पर विनाश-लीला का दृश्य उपस्थित हो जायेगा। फिर भी वे औद्योगीकरण को कम नहीं करते, सुख-सुविधाओं को नित्य नये-नये आविष्कार करके बढ़ाते जाते हैं, स्पूतनिक, सोयुज और इन्सेन्ट छोड़ने की होड़ लगी है। वनस्पति संरक्षण-वनस्पति-पेड़-पौधे, प्राणिजगत के लिए ऊर्जा के स्रोत हैं, जीवन के आधार हैं। लेकिन आज अन्धाधुन्ध रूप से वनों

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