Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 25
________________ २३ बन्दर, मोर, सुअर और उल्लू जैसे प्राणी भी प्रकृति में मनुष्य की सुरक्षा, जीव-जन्तुओं का त्राण, गन्दगी की सफाई आदि कार्यों के लिए आज अतीव उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं, जिनका घात मनुष्य बेरहमी से करता रहा है। सच्चाई यह है कि ये सभी त्रस और स्थावर जीव मानव के सुखी जीवन में आवश्यक सहयोग करते हैं अतः मानव को भी इनका विनाश न करके इनके साथ सहयोग करना चाहिए। उनके सुखी जीवन के लिए आवश्यक परिस्थितियों का निर्माण करना चाहिए। यही अहिंसा है। इसीलिए जैन धर्म ने जीवन-संदेश के रूप में अहिंसा को आधार रूप दिया। मानव जितना भी अहिंसक बनता जायेगा, पर्यावरण प्रदूषण उतना ही कम होता जायेगा। प्रकृति उतनी ही स्वच्छ और अनुकूल रहेगी। _ प्रदूषण के अनेक प्रकार उपर्युक्त पंक्तियों में पर्यावरण प्रदूषण की चर्चा की गई है लेकिन प्रदूषण के अनेक प्रकारPage Navigation
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