Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 39
________________ इच्छा करता है, यदि आपने विरोध कर दिया तो हठ पकड़ लेगा, आपकी प्यार भरी मीठी बातें और यहाँ तक कि झिड़कियाँ भी व्यर्थ जायेंगी। अतः उस समय आप अपनी उचित बात का भी आग्रह न करें। आप स्वयं देखेंगे कि कुछ देर बाद जब हठ का फितूर उसके दिमाग से निकल जायेगा तो वह स्वयं ही आपकी बात को खुश होकर स्वीकार कर लेगा। क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। आप आग्रह करेंगे तो सामने वाला व्यक्ति भी अपनी बात पर अड़ जायेगा, आपका विरोध करेगा, उसके हृदय में आपके प्रति विद्वेष जागृत होगा। हो सकता है, वह आपसे घृणा करने लगे, बात करने से भी कतराये। यदि कोई व्यक्ति दबाव में आकर आपके आग्रह को स्वीकार कर भी ले तो अन्दर ही अन्दर सुलगता रहेगा, आपके प्रति उसके मन में कटुता उत्पन्न हो जायेगी। इसीलिए कहा गया है कि आग्रह विरोध को बढ़ाता है। अनाग्रह विरोध उत्पन्न होने की स्थिति ही नहीं आने देता। अनाग्रही व्यक्ति के

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