Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 50
________________ ४८ था कि जब धर्म के होते हुए भी मानव के आचार में इतनी बुराइयाँ, कटुता आदि निम्नगामी और समाज-विरोधी प्रवृत्तियाँ हैं तो यदि धर्म न होता तो इस संसार की क्या दशा होती ? इन शब्दों में यद्यपि धर्म शब्द का प्रयोग किया गया है किन्तु यह विषय कर्म से विशेष सम्बन्धित है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि बुरे कर्म का परिणाम बुरा ही होता है। यदि चोरी करूँगा, किसी व्यक्ति की हिंसा करूँगा या और कोई गलत काम करूँगा तो निश्चित रूप से कभी न कभी पकड़ा जाऊँगा और परिणामस्वरूप जेल की सजा भी भोगनी पड़ेगी। कर्मफल का इतना विश्वास तो उन व्यक्तियों को भी है, जो नास्तिक हैं, पुनर्जन्मपूर्वजन्म के सिद्धान्त को नहीं मानते। लेकिन जो लोग आस्तिक हैं, पूर्वजन्म-पुनर्जन्म को मानते हैं, वे तो मन में यह भी समझते हैं कि अगले जन्म में भी इन बुरे कर्मों का फल अवश्य ही भोगना पड़ेगा। यहां पर जो कुछ मिल रहा है वह भी हमारे पूर्वजन्म के कर्म का फल है।Page Navigation
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