Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 35
________________ ३३ आग्रह का अभिप्राय है-अपनी मान्यता, विचारधारा का पक्षपात या जिंद रखना तथा यह कोशिश करना कि अन्य लोग भी उस मान्यता को स्वीकार करें, उसे आचरण में लायें । आग्रही व्यक्ति सोचता है, जैसा मैं सोचूं वैसा सब सोचें, जैसा मैं कहूं सब वैसा ही करें। आग्रह में बल-प्रयोग, जबरदस्ती, दबाव आदि का भी प्रयोग किया जाता है। अपनी बात को मनवाने के लिए छल-बल के प्रयोग में भी किसी प्रकार का संकोच नहीं किया जाता । इसके विपरीत अनाग्रह में होती हैंसरलता । व्यक्ति सरलतापूर्वक, स्वच्छ हृदय से व्यक्ति के सामने वस्तु का, किसी भावना का तथा वस्तुस्थिति का सत्यस्वरूप प्रगट कर देता है, हानि-लाभ, गुण-अवगुण बता देता है और निर्णय उस व्यक्ति के विवेक पर छोड़ देता हैं, वह चाहे तो उसे स्वीकार करे अथवा न करेयह पूर्णतया उसकी इच्छा पर निर्भर है। अनाग्रह दूसरों की इच्छा का आदर करता है, दूसरों की बुद्धि पर विश्वास करता है। इस दृष्टि से अनाग्रह शांति और सरलता का

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