Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 28
________________ है-जिस प्रकार रक्त से सना वस्त्र रक्त से साफ नहीं होता, जल से ही साफ होता है; उसी प्रकार वैर की अग्नि वैर से शान्त नहीं होती, उसकी उप-शान्ति के लिए क्षमा का जल ही आवश्यक है। प्रेम से प्रेम मिलता है। ___ वचन का प्रदूषण तो सभी को प्रत्यक्ष अनुभूत है। कहावत है-संसार तो एक कूप के समान है। जैसी आवाज कुएं में दोगे, वैसी ही प्रतिध्वनि गूंजेगी। मीठे वचन बोलने से मीठे ही शब्द सुनने को मिलेंगे। सामने वाला भी प्रेम से बात करेगा। रहीम ने कहा भी हैरहिमन मीठे वचन से, सुख उपजै चहुँ ओर। वशीकरण एक मंत्र है, तंज दे वचन कठोर।। कितना सीधा और सरल उपाय हैसुख-शांति का, जीवन में सफलता प्राप्त करने का। अधिकांश सफल व्यक्तियों में यह मधुर वचन बोलने का गुण अवश्य होता है ।। इसीलिए भगवान महावीर ने कहा है छह प्रकार के वचन नहीं बोलने चाहिए(१) असत्य वचन (२) तिरस्कारयुक्त वचन (३)

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