Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 29
________________ २७ झिड़कते हुए वचन (४) कर्कश-कठोर चुभते वचन (५) अविचारपूर्ण वचन (६) शांत हुए कलह को फिर से उभाड़ने वाले उत्तेजक वचन। ___ क्योंकि इन वचनों से प्रदूषण फैलता है, विरोध, विषमता और उत्तेजना बढ़ती है। एक व्यक्ति ने कठोर वचन कहे तो दूसरा भी ऐसे ही शब्द मुख से निकालेगा और इसी प्रकार तीसरा, चौथा भी......इस प्रकार पूरे समूह में उत्तेजना व्याप्त हो जायेगी, वचन प्रदूषण पूरे समूह व समाज में फैल जायेगा। __ जैसे शांत सागर में. एक कंकड़ फेंक दिया जाय तो उस स्थान से उठी तरंगें तट तक आ पहुँचती हैं, उसी प्रकार एक कटुवचन रूपी कंकड़ सारे समाज को उद्वेलित कर वचन प्रदूषण फैला देता है। एक वचन की चिनगारी युद्ध की ज्वाला भड़का देती है। इसीलिए वचन-विवेक जैन धर्म के जीवनसन्देश का एक प्रमुख पहलू है। वचन प्रदूषण का एक अन्य रूप आधुनिक औद्योगिक सभ्यता की देन है। वह है

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