Book Title: Jain Dharm Ka Jivan Sandesh
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 9
________________ जीवन की विराटता जीवन बहुत विराट है। इस विश्व में सर्वत्र जीवन की चहल-पहल है। कल-कल करते निर्झरों में, सर-सर बहती सरिताओं में तथा उत्ताल तरंगों से उछलते सागर में जीवन है तो मंद-मंद बहती समीर में और झंझावात में भी जीवन हिलोरें ले रहा है। हरित, वनस्पति में सर्वत्र जीवन की ही हलचल व्याप्त है। पशु-पक्षी, तथा प्राणिमात्र के साथ सहयोग करना, इन्हें विनष्ट न करना, सावधानीपूर्वक इस ढंग से इन सब का इस तरह का उपयोग करना जिससे किसी की हानि न हो-यह सब मानव मात्र का कर्तव्य है। यही जीवन-सन्देश भगवान महावीर ने मानव को दिया है। .. मुस्लिम धर्मग्रन्थ कुरान में एक आयत आती है जिसका अर्थ है-"खुदा ने धरती की सारी नियामतें इन्सान के लिए पैदा की हैं और इन्सान का फर्ज है कि इन सबको इस्तेमाल करे लेकिन साथ ही हिफाजत भी करे, उन्हें खत्म न करे।" कुरान के इन शब्दों में भी भगवान महावीर

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