________________
एक समय : वर्तमान काल भूत, भविष्य, वर्तमान काल : अद्धाकाल, सर्व अद्धाकाल
जधन्य अन्तर्मुहूर्त : 6 समय का काल मध्यम अन्तर्मुहूर्त : 10 समय से मुहूर्त के अंतिम समय के पहले का एक
समय तक का काल उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त : मुहूर्त में मात्र एक समय शेष रहे वैसा काल
* पुद्गलास्तिकाय * पुद्गल शब्द में दो पद हैं - “पुद्' और 'गल" | "पुद्' का अर्थ है पूरा होना या मिलना और “गल'' का अर्थ है गलना या मिटना। जो द्रव्य प्रतिपल, प्रतिक्षण मिलता है, बिछुडता है, बनता - बिगडता रहे, टूटता - जुडता रहे, वही पुद्गल है। यह एक पापुद्गलास्तिकाय ऐसा द्रव्य है जो खण्डित भी होता है और पुनः परस्पर सम्बद्धे भी। पुद्गल की सबसे बड़ी पहचान यह है कि उसे छुआ जा सकता है, चखा जा सकता है, सूंघा जा सकता है और देखा जा सकता है। उसमें स्पर्श, रस, गंध और वर्ण ये चारो अनिवार्य रूप से पाये जाते हैं।
__इस प्रकार पुद्गल विविध ज्ञानेन्द्रियों का विषय बनता है। अतः उसमें वर्ण, गंध, रस और स्पर्श के कारण वह रुपी अथवा मूर्त कहा गया है।
__* पुद्गल का लक्षण * नव तत्वों की गाथा में पुद्गल के लक्षण इस प्रकार बताए गए हैं। संद्दधयार उज्जोअ, पभा छायातवेहि अ| वण्ण - गंध - रसा - फासा, पुग्गलाणं तु लक्खणं।। शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया, आतप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श ये पुद्गलों के लक्षण है।
शब्द :- अर्थात् ध्वनि, आवाज या नाद | यह सचित, अचित तथा मिश्र शब्द के भेद से तीन प्रकार का है।
सचित शब्द :- जीव मुख से निकले वह सचित शब्द है।
अचित शब्द :- पाषाणादि दो पदार्थों के परस्पर टकराने से होनेवाली आवाज अचित शब्द है।
मिश्र शब्द :- जीव के प्रयत्न से बजने वाली वीणा, बांसुरी आदि की
आवाज मिश्र शब्द है। * अंधकार :- प्रकाश का अभाव अंधकार है। यह भी एक पौद्गालिक पदार्थ है जो देखने में बाधक बनता है।
G
शब्द
: अंधकार
...435
...COMesthaerialertiseroin
www.jalne ora yo