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प्रेक्ष्य दोष
शुद्ध कायोत्सर्ग तथा कायोत्सर्ग के १९ दोष
ALS
वायस दोष
शिरःकम्प दोष.
संयतिदोष
निगड दोष
दोनों पैरों के बीच अंतर, चरखला पकड़कर होंठ की फड़फड़ाहट के साथ चारों ओर दृष्टि करे, वह अविधि कहलाती है।
शबरी दोष
शुद्ध काउस्सग्ग की मुद्रा
नग्न भील की भांति दोनों हाथों से गुप्तांग को ढंककर रखना, वह अविधि कहलाती है।
कौए के समान इधर-उधर गर्दन घुमाए, तो अविधि कहलाती है।
भ्रूअगुली दोष खलिण दोष
ऊँगली के पोर में काउस्सग की संख्या गिनना अथवा नवकारवाली से गिनना, वह अविधि कहलाती है।
स्त्री की भांति चादर से सम्पूर्ण छाती ढंककर रखना, वह अविधि कहलाती है।
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वधूदोष
घोटक दोष
जम्हाई आए तो काउस्सग्ग में मुंहपत्ति का उपयोग मुख के आगे नहीं करना। एक हाथ में एक साथ मुंहपत्ति तथा चरवला रखना वह भी एक अविधि है।
नव विवाहित स्त्री की भांति मुंह नीचे झुकाकर रखना तथा घोड़े के समान पैरों को ऊपर नीचे करना, वह अविधि कहलाती है।
शुद्ध काउस्सग्ग की मुद्रा
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दोनों हाथ जोड़कर पैरों के माप का अंतर रखे बिना कायोत्सर्ग करना, वह अविधि कहलाती है।
13. आलापक गिनते समय अथवा कायोत्सर्ग की संख्या गिनते समय ऊँगली तथा पलकें चलती रहे वह
भूउड्गुलि दोष
14. कौए के समान इधर उधर झांकता रहे, वह वायस दोष
17. गूंगे के समान हुं हुं करे, वह मूक दोष
18. आलापक गिनते समय शराबी के समान बडबडाए वह मदिरा दोष तथा
19. बंदर के समान इधर उधर देखा करे वह प्रेक्ष्य दोष कहलाता है।
15. पहने हुए वस्त्र पसीने के कारण मलिन हो जाने के भय से कैथ के पेड की तरह छिपाकर रखे, वह कपित्थ दोष
16. यक्षावेशित के समान सिर हिलाए, वह शिरः कंप कोष
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