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वाह! कितने वाह तुम्हारे पासणारेघोडे । इतने सारे घोडे है।
सुन्दर यार।
वाह सभी मेरी
15. स्वाहरितकी क्रिया
17-आज्ञापनिका क्रिया:
रामजाओ ये सामन देकर, रूपये
ले आओ।
14. सामान्तोपनिपतिकी क्रिया :- अपनी ऋद्धि-समृद्धि की प्रशंसा सुनकर खुशी होना, अथवा घी, तैल, दूध आदि से बर्तन खुले रखने से उनमें त्रस जीव आकर गिरे उससे जो क्रिया लगे वह सामन्तोपनिपतिकी क्रिया कहलाती है। 15. स्वहस्तिकी क्रिया :- आत्महत्या या अपने हाथों से शिकारी कुत्तों आदि से अथवा शास्त्र द्वारा
जीवों की हिंसा करने से जो क्रिया लगे वह 14. सामन्तीपनिपातिकी क्रिया
स्वहस्तिकी क्रिया है। 16. नैष्टिकी क्रिया : किसी वस्तु को बिना यतना के पटक देने से लगने वाली क्रिया नैसुष्टिकी क्रिया कहलाती है। 17. आज्ञापनिकी क्रिया :- किसी पर आज्ञा चलाने से
या आज्ञा देकर पाप व्यापार आदि करवाने से या किसी 16, नसृष्टिकी क्रिया
वस्तु को मंगवाने से जो क्रिया लगे वह आज्ञापनिकी क्रिया कहलाती है।
18. विदारणिकी क्रिया :- किसी वस्तु का छेदन, भेदन आदि करने से तथा किसी को गालियाँ, कलंक देने से जो क्रिया लगे वह विदारणिकी क्रिया है। 19. अनाभोग प्रत्यया क्रिया :- अज्ञानता से या
19. अनाभोग प्रत्यया क्रिया प्रमादवश कार्य करने से जो क्रिया लगे वह अनाभोग प्रत्यया क्रिया कहलाती है।
20. अनवकांक्षा प्रत्यया क्रिया :- स्वयं का हित - अहित सोचे - समझे बिना इहलोक और परलोक के विरूद्ध कार्य करना। जैसे बिना सोचे - समझे हिंसा में धर्म बताना, दंगा करना इत्यादि। 21. प्रेम प्रत्यय क्रिया :- प्रेम अनुराग के कारण लगनेवाली
क्रिया प्रेम प्रत्यया क्रिया कहलाती है। जैसे लडका - लडकी 22. द्वेष प्रत्यया क्रिया का परस्पर प्रेम अनुराग।
22. द्वेष प्रत्यय क्रिया :- द्वेष भाव से लगनेवाली क्रिया द्वेष प्रत्यय क्रिया कहलाती है।
18. वदारिणी क्रिया.
21 प्रेम प्रत्यया क्रिया ।
20 अनवकाक्षा प्रत्यया क्रिया
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