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सूर्य-चंद्र के प्रकाश से जो दूसरी किरण
* THT :रहित उप प्रकाश पडता है, वह प्रभा है। यदि प्रभा न हो तो सूर्यादि की किरणों का प्रकाश जहाँ पडता हो, वही केवल प्रकाश रहता और उसके समीप के स्थान में ही अमावस्या का गाढ अंधकार व्याप्त रहता । परंतु उपप्रकाश रुप प्रभा के होने से ऐसा नहीं होता है।
सुरभि गंध
* आतपः- शीत वस्तु का उष्ण प्रकाश आतप कहलाता है। इस कर्म का उदय उन्हीं जीवों को होता है, जिनका शरीर स्वयं तो ठंडा है लेकिन उष्ण प्रकाश करते हैं। जैसे सूर्य का विमान एवं सूर्यकांतादि रत्न स्वयं शीत है परंतु प्रकाश उष्ण होता है। आतप नाम कर्म का उदय अग्निकाय के जीवों को नहीं होता बल्कि सूर्यबिंब के बाहर पृथ्वीकायिक जीवों को ही होता है।
गंध
हल्कापन
* वर्ण :- जिस कर्म के उदय से शरीर में कृष्ण और आदि वर्ण (रंग) हो उसे वर्ण कहते हैं। इसके 5 भेद हैं- काला, नीला, पीला, लाल और श्वेत
दुरभिगंध
* उद्योत
शीत पदार्थ के शीत प्रकाश को उद्योत कहते हैं। चंद्र, गृह, नक्षत्र, तारा इत्यादि पदार्थ तथा जुगनू आदि जीवों के शीतल प्रकाश को उद्योत कहते हैं।
छाया
मृदुलता
रूखा
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* रस :- रसनेन्द्रिय के विषय को रस कहते हैं। इसके 5 भेद हैं कसैला, खट्टा और मीठा ।
* स्पर्श :- जो स्पर्शनेन्द्रिय का विषय हो वह स्पर्श कहलाता है। इसके 8 भेद हैं।
* छाया - दर्पण, प्रकाश अथवा जल में पडने वाला प्रतिबिंब छाया कहलाती है।
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चिकना तेल
कठोरता
* गंध :- घ्राणेन्द्रिय के विषय को गंध कहते हैं। इसके 2 भेद हैं :- 1. सुरभि (सुगंध) और 2. दुरभि (दुर्गन्ध)
तीखा, कडवा,
भारीपन
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प्रभा
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Andama
आतप
सफेद
लाल
तीखा
खटा
पीला
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कषायला
हरा
कर्कश (कठोर), कोमल, हल्का, भारी, ठंडा, गर्म, रुखा और चिकना । पुद्गल का अत्यंत सूक्ष्म रुप है "परमाणु' । यह इतना सुक्ष्म है कि इसका कोई विभाग
(टुकडा) नहीं हो सकता। दो परमाणु से लेकर संख्यात, असंख्यात अनंत परमाणुओं के मिलने से जो समूह बनता है उसे स्कंध कहा जाता है।
काला
मीठा
कडवा
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