________________
8. मेरुतुंग कृत 'महापुराण चरित्र', 9. पद्मनन्दि कृत 'बर्द्धमान काव्य' इन ग्रन्थों में दिगम्बर परम्परा की मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर का चरित्रांकन किया गया है।
श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार महावीर चरित्रविषयक कुछ महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ ग्रन्थ निम्नानुसार हैं। अंगग्रन्थों के रूप में 'आचारांग', 'समवायांग', तथा 'कल्पसूत्र' महत्त्वपूर्ण चरित्र सन्दर्भ के ग्रन्ध हैं। साथ ही-1, शीलांकाचार्य कृत 'चउपन्नमहापुरिसचरिय', 2. भद्रेश्वर कृत 'कहावली' 3, गुणभद्रसूरि कृत 'महावीर चरिय', 4. नेमिचन्द्र सूरि कृत 'महावीर चरियं', 5. देवभद्रगणिकृत 'महावीर चरिय', 6, रामचन्द्र कृत 'महावीर स्वामी चौढालियो' आदि रचनाओं में भगवान महावीर की चारित्रिक विशेषताएँ निरूपित हैं।
भगवान महावीर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर भारतीय और पाश्चात्य भाषाओं में सैकड़ों पत्र-पत्रिकाओं और ग्रन्थों में प्रभूत सामग्री प्रकाशित हुई है। फिर भी, सामयिक उपयोगिता को ध्यान में रखकर जैन संग्रहालयों में विद्यमान हस्तलिखित ग्रन्थों तथा प्रकाशित अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों से विषय-सामग्री संकलित की जा सकती है। उनके नाम हैं
उत्तराध्ययन सूत्र, देशकालिक, वसुदेवहिण्डी, भद्रेश्वरकत महाबली, जटाचार्य कृत वरांगचरित, रविषेण कृत पद्मपुराण, कवि विबुध श्रीधर कृत वड्ढमाण चरिउ, नागवर्म कृत वीर वर्द्धमान पुराण, आचण्ण कृत वर्द्धपान पुराण, पदकवि कृत वर्द्धमान चरित्र।
भगवान महावीर की जीवनी की रूपरेखा
भगवान महावीर के जीवन और चिन्तन के सम्बन्ध में प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश और आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं और द्रविड़ भाषाओं के साहित्य में विपुल मात्रा में वर्णन प्राप्त होता है। उनके चरित्र एवं व्यक्तित्व को लेकर अनेक पौराणिक आख्यान-उपाख्यान तथा चमत्कारिक, अलौकिक निजन्धरी अद्भुत घटनाएँ और प्रसंग उपलब्ध होते हैं। महावीर की जीवनी की प्रामाणिक जानकारी के लिए कुछ शिलालेख, मूर्तिलेख, स्तुपलेख आदि को आधार माना जा सकता है, लेकिन ऐतिहासिक अध्ययन की पर्याप्त सामग्री के अभाव में उनके जीवन का वैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक अनुशीलन करना कठिन है। प्राप्त प्रामाणिक और विश्वसनीय जीवनी लेखन के साधनों के आधार पर वर्तमान में उनके जीवन की रूपरेखा मात्र प्रस्तुत की जा सकती है। डॉ. हीरालाल जैन और आ. ने, उपाध्ये इन दो विद्वानों ने 'महावीर युग और जीवन-दर्शन' ग्रन्थ में महावीर के ऐतिहासिक जीवनवृत्त को निम्न रूप में प्रस्तुत किया है।
बिहार प्रान्त में पटना से 30 मील उत्तर में आधुनिक बसाढ ग्राम (वैशाली) का एक उपनगर क्षत्रियकुण्ड था। इसी नगर में राजा सिद्धार्थ की रानी त्रिशला की कोख
38: हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर