Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 88
________________ अन्तर्यात्रा में भगवान गहावीर का सूक्ष्म चारेत्र अधिक स्पष्ट, मुखर और प्रभविष्णु अतः भगवान महावीर के चरित्र का चित्रण क्रमशः बहिरंग चित्रण और अन्तरंग चित्रण दो विभागों में किया जाता है। बहिरंग-चित्रण का स्वरूप प्रत्येक चरित्र के दो रूप होते हैं-एक दृश्य रूप और दूसरा अदृश्य रूप। व्यक्ति का आकार, रंग, रूप, वेशभूषा और पंचेन्द्रियों द्वारा व्यक्त क्रियाएँ, ये सभी दृश्य रूप के अन्तर्गत आते हैं। कोई क्रिया करने के पहले या बाद में व्यक्ति के मन में जो विचार आते हैं वे अव्यक्त रूप में होते हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्त रूप ही उसका बहिरंग रूप है और अव्यक्त रूप ही उसका अन्तरंग रूप होता है। हिमनग का व्यक्त रूप देखकर सम्पूर्ण हिमनग की कल्पना करना असम्भव है, क्योंकि हिमनग का विशाल रूप छिपा रहता है। उसी प्रकार किसी पात्र का जो व्यक्त रूप (बहिरंग रूप) होता है, उससे उस पात्र के सम्पूर्ण चरित्र की कल्पना करना भ्रामक होता है। फिर भी बहिरंग चित्रण से पात्र के अन्तरंग का एक अनुमान किया जा सकता है। डॉ. वसन्त मोरेजी का कथन है-“बहिरंग चित्रण पात्र के व्यक्तित्व को एक ठोस रूप देकर उसे मांसल बनाता है। इस चित्रण के आधार पर किसी पात्र का एक मूर्त रूप हम देख सकते हैं. और इस चित्रण की सहायता से ही उसका अन्तरंग चित्रण समझने में हमें सहायता मिलती हैं।" बहिरंग चित्रण की प्रणालियाँ चरित नायक का प्रथम प्रभाव इस बहिरंग चित्रण के आधार पर ही पाठकों पर पड़ता है। अतः श्रेष्ट साहित्यकार पात्र के अन्तरंग चित्रण के साथ-साय बहिरंग चित्रण पर भी समान रूप से ध्यान देते हैं। उससे पात्र के व्यक्तित्व का परिपूर्ण और प्रभावी चित्रण होता है। अतः काव्य चरित के अध्ययन में बहिरंग चित्रण आवश्यक होता है। राजवंशवर्णन, नामअर्थ-प्रतिपादन, आकृति-रूप-वेशभूषा वर्णन, स्थित्यंकन, अनुभावचित्रण, यदनाओं द्वारा चित्रण इन छह चित्रण प्रणालियों से भगवान महावीर के चरित्र का बहिरंग चित्रण किया गया है। राजवंश-वर्णन :-आजकल यह नहीं माना जाता कि श्रेष्ठ चरित्र की दृष्टि से चरित्र नायक का जन्म श्रेष्ठ कुल में ही होना चाहिए। लेकिन प्राचीन भारतवासियों की 1. डॉ. भगवानदास तिवारी : भगवान महावीर : जीवन और दर्शन, पृ. 4 ५. डॉ. वसन्त केशव पोरे : हिन्दी साहित्य में यर्णित छत्रपति शिवाजी के चरित्र का पृत्यांकन, (शोध-प्रबन्ध), पृ. 726 94 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर

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