Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 115
________________ मनोवैज्ञानिक प्रणालियों का प्रयोग करते हैं। कवियों के लिए इस प्रकार का चित्रण करना कठिन कार्य होता है। अतः मनोविश्शेषण, स्वप्नविश्लेषण, निराधार प्रत्यक्षीकरण विश्लेषण, प्रत्यावलोकन विश्लेषण, सम्मोहन विश्लेषण, पूर्ववृत्तात्मक प्रणाली (पूर्वभव, शब्द सह-स्मृति परीक्षण आदि प्रणालियों का उपयोग साहित्यकार अपने पात्रों के अन्तरंग का, अचेतन मन का चित्रण करते समय करते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में पात्रों के व्यक्त विचार, भाव और प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करनेवाले कारणों को स्पष्ट करके साहित्यकार पाठकों के सामने पात्रों का अन्तरंग स्पष्ट करते हैं। आलोच्य महाकाव्यों में कवियों ने भगवान महावीर को माता त्रिशला के षोडशस्वप्नों का विश्लेषण करते हुए स्वप्नविश्लेषण चित्रण प्रणाली का प्रयोग किया है। स्वप्नविश्लेषण शैली के द्वारा पात्र को आन्तरिक भावनाओं, इच्छाओं एवं विचारों को स्वप्नचित्रण के माध्यम से उजागर किया जाता है। स्वप्नविश्लेषण की भाँति निराधार प्रत्यक्षीकरण शैली का प्रयोग चरित्रनायक के अवचेतन मन में स्थित भावनाओं और इच्छाओं की अभिव्यक्ति के लिए होता है। जाग्नत अवस्था में स्वप्नवत् मनःस्थिति का चित्रण करने में निराधार प्रत्यक्षीकरण शैली का विशेष रूप से प्रयोग होता है। प्रत्यावलोकन विश्लेषण शैली में पात्र के चेतन या अचेतन मन के विचारों की प्रक्रिया को अभिव्यक्ति देने का प्रयास होता है। इस चित्रण शैली के माध्यम से घटनाओं, परिस्थितियों तथा पात्रों के कार्यों के मूल में स्थित कारण स्पष्ट हो जाते हैं। भगवान के जन्म होने के पूर्व माता के चारों ओर का वातावरण इन्द्र की आज्ञा तथा कुबेर की व्यवस्था से 56 कुमारी देवियाँ ऐसा सुन्दर और नयन मनोहारी बनाती हैं कि जिससे किसी भी प्रकार का क्षोभ माता के मन में उत्पन्न न होने पाए। इसी सब सावधानी का यह सुफल होता है कि उस माता के गर्भ से उत्पन्न होनेवाला बालक अतुल, तीन ज्ञान (मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, और अवधिज्ञान) धारक और महाप्रतिभाशाली होता है। साधारणतः यह मान्यता है कि किसी भी महापुरुष तीर्थंकर भगवान के जन्म लेने के पूर्व उसकी माता को कुछ विशिष्ट स्वप्न आते हैं जो किसी महापुरुष के जन्म लेने की सूचना देते हैं। डॉ. तिवारी के शब्दों में-"स्वप्नविज्ञान और लोकविश्वास के अनुसार स्वप्न अर्धचेतन मन के काल्पनिक बिच ही नहीं होते, अन्तश्चेतना द्वारा प्रदत्त भावी घटना प्रसंगों के पूर्व संकेत भी होते हैं, इसलिए कालज्ञपुरुष स्वप्नों के शुभाशुभ फलों की व्याख्या किया करते हैं। स्वप्नों के अन्वयार्थ : महाराजा सिद्धार्थ निमित्तज्ञानी थे। स्वप्न शास्त्रानुसार अपनी रानी त्रिशला को उनका अन्वयार्थ बताने लगे। माता के सोलह स्वप्न 1. डॉ. भगवानदास तिवारी : भगवान महावीर : जीयन और दर्शन, पृ. 8 'भगवान महावीर का चरित्र-चित्रण :: 21

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