Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 132
________________ 'श्रमण भगवान महावीर-चरित्र' में चरित्र-चित्रण कवि योधेयजी ने भगवान महावीर जीवन को छवि को पर्याप्त स्पष्टता से प्रौढ़ एवं परिपक्व चित्रण शैली में चित्रित किया है। चरित्र नायक की महानता की अभिव्यक्ति के लिए उनके चरित्र की विविध अवस्थाओं का सरस वर्णन नौ तोपानों में विभाजित करके समग्र जीवन वृत्त को प्रस्तुत किया है। गर्भावतरण से लेकर निर्वाण तक के वस्तुवर्णन में उनके चरित्र को तीथंकरों के परम्परागत पंचकल्याण महोत्सवों की वर्णन शैली द्वारा चित्रित किया है। चरित्र-चित्रण करते समय श्वेताम्बर मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर के चरित्र को साकार किया है। गान्तरण का प्रसंग, 16 स्वप्नों की बजाय 14 स्वप्नों का दृष्टान्त, विवाह-प्रणय तथा सन्तान होने का प्रसंग, साधना कालीन उपसर्गों, परीषहों आदि घटनाओं का चित्रण श्वेताम्बर सम्प्रदाय के अनुकूल चित्रित करने की वृत्ति कवि की रही है। - परम्परागत घटनाओं के चित्रण में कहीं-कहीं अपनी कल्पनाशक्ति से मौलिक प्रसंगों का चित्रण करके चरित्र को आकर्षक एवं सरत बनाने का प्रयास किया है। चरित्र-चित्रण के बहिरंग एवं अन्तरंग पक्ष के चित्रण में बहिरंग की अपेक्षा अन्तरंग चित्रण को कवि ने अधिक महत्त्व दिया है। योधेयजी ने महावीर के चरित्र-चित्रण में उनकी चरित्रगत विशेषताओं के चित्रण पर अधिक बल दिया है। भाषा-शैली प्रभावी एवं सहज बोधगम्य है। भगवान महावीर के चरित्र को अपनी सरस, सुललित, संगीतात्मक शब्दावली में प्रस्तुत करके जनभाषा में जनसाधारण तक चरित्र ग्राह्य होने के लिए जनमहाकाव्यात्मक रूप में प्रस्तुत गेय कलाकृति का सृजन किया है। सरल, सुबोध, धारा-प्रवाही भाषा, प्रभावशालिनी-ओजस्विनो शैली, भावानुकूल शब्दविन्यास और माधुर्य आदि विशेषताएँ उनकी भाषा-शैली की रही हैं। छन्द, अलंकार आदि शिल्पगत विशेषताओं की ओर उन्होंने अधिक ध्यान नहीं दिया है। महाकाव्य में प्रसंगोचित प्रकृति-चित्रण, राजवंश का वर्णन किया है। प्रमुखतः उनके चरित्र-चित्रण में चरित्रनायक के चरित्र का शोल, सौन्दर्य एवं अलौकिक वैभव, उनके महान् जीवनादर्शों, जीवनमूल्यों का प्रचार-प्रसार करना रहा हैं। रसात्मकता की दृष्टि से प्रमुखतः शान्तरस एवं गौणरूप में अन्य रसों का परिपोष चरित्र-चित्रण के द्वारा हुआ है। योधेयजी के द्वारा चित्रित भगवान महावीर का चरित्र बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय लोकशिक्षण एवं लोकरंजन की दृष्टि से सफल लोकमहाकाव्य है। तात्पर्य, आधुनिक महाकाव्यों में इतिहास एवं कल्पना तथा पुराण, इतिहास और कवि-कल्पना के मणिकांचन योग से महावीर के चरित्र का सृजन हुआ है। छन्द, सर्ग, शिल्प एवं स्थूल शास्त्रीय लक्षणों के आधार पर महावीर के ऐतिहासिक चरित्र को पुराण महाकाव्यात्मक रूप प्रदान किया है। महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर के चरित्र से तात्पर्य यह है कि आधुनिक 13 :: हिन्दी के महाकायों में चित्रित भगवान महावीर

Loading...

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154