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हिंसक आचारों से मुक्ति तथा उदात्त विचारों में प्रवृत्ति, मनुष्य समाज को भगवान महाबीर के विचारों से ही प्राप्त हो सकेंगी। और यही भगवान महावीर के चरित्र की प्रासंगिकता है।
चरित्र की प्रासंगिकता के विविध आयाम
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भगवान महावीर के चरित्र की प्रासंगिकता के सम्बन्ध में उपर्युक्त मनीषियों के अभिमतों का अनुशीलन करने पर हम इस तथ्य पर पहुँचते हैं कि भगवान महावीर के चरित्र के दो पक्ष हैं- एक आचारपक्ष और दूसरा विचारपक्ष भगवान महावीर के चरित्र का आचार एवं विचारपक्ष आज भी प्रासंगिक है और आगे भविष्य में भी रहेगा। मनुष्य जीवन में आचारों के आदर्श जीवनमूल्यों पर दृढ़ विश्वास और जीवन जगत् के व्यवहारों का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करके मानवतावादी दृष्टि से संयमपूर्वक आचरण करके आचार की शुद्धता, पवित्रता, सरलता रखना आदि बातें जो भगवान महावीर ने बतायी हैं, वे आज भी उतनी ही व्यक्तिगत स्तर पर महत्त्वपूर्ण हैं जितनी आज से ढाई हज़ार साल पहले थीं ।
वस्तुतः देखा जाए तो आधुनिक रचनाकारों को भी मानव चरित्र के विकास के लिए असंख्य प्रेरणास्त्रोत भगवान महावीर के चरित्र में मिल सकते हैं। ऐसे प्रेरणास्त्रोत, जिनसे जीवन को स्वस्थ, निर्मल, विवेकशील और आचारशील बनाया जा सकता है। तात्पर्य, भगवान महावीर का आत्मवादी चरित्र वर्तमान युग की युवापीढ़ी के चरित्र निर्माण के लिए आज भी प्रासंगिक, प्रेरक और उपादेय है। आज के वैज्ञानिक युग में भी देश के शिक्षित, पठित और बुद्धिजीवी वर्ग के लिए व्यक्तिगत आत्मकल्याण, आत्मोत्कर्ष की दृष्टि से भगवान महावीर का चरित्र और जीवन-दर्शन प्रासंगिक है। क्योंकि भगवान महावीर आत्मवादी इतिहाससिद्ध महापुरुष हैं। उनका चरित्र मनुष्य का चरित्र है। उनके विचार मनुष्य के विचार हैं। उनका दर्शन मनुष्य का दर्शन है। भगवान महावीर ने ईश्वरीय कर्तृत्व को नकारा है। आत्मवादी सत्ता को प्रस्थापित किया है। उन्होंने भाग्यवाद की जगह परिश्रम- पुरुषार्थ की स्थापना की है। मनुष्य की सर्वोपरि महत्ता को स्थापित किया है। वे मनुष्य को किसी बाह्य ईश्वरीय शक्ति के अधीन नहीं मानते। मनुष्य को अपने कल्याण एवं सर्वतोमुखी विकास के लिए किसी की कृपा की आवश्यकता नहीं है। मनुष्य के कर्तृत्व पर इतना जबर्दस्त विश्वास भगवान महावीर ने व्यक्त किया है कि सुख-दुख का कर्ता और भोक्ता मनुष्य को मानकर उसमें स्वावलम्बन एवं पुरुषार्थ की प्रेरणा निर्माण करके नर से नारायण आत्मा से परमात्मा बनने का विश्वास जनसाधारण में निर्माण किया है। भगवान महाबीर ने आत्मविकास की वैज्ञानिक जीवनदृष्टि प्रदान की है। भगवान महावीर की जीवन की दृष्टि को आज के समकालीन परिवेश में व्यक्ति और समाज की
148 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर