Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 129
________________ परम्परागत लक्षणों का अनुसरण करते हुए कवि ने प्रत्येक सग के अन्त में छन्द परिवर्तन क्रम का निर्वाह किया है। कुल मिलाकर [11] छन्दों में पड़ावीर के चरित्र का चित्रण किया है। भगवान महावीर की साधना का तधा साधना के समय के विविध उपसर्गों तथा परीषहों पर विजय प्राप्त करने की घटनाओं का सजीव चित्रण हुआ है। चन्दना उद्धार, दलित एवं शूद्रों को संघ में शामिल करा देना आदि प्रसंगों के चित्रणों द्वारा महावीर के चरित्र की मानवतावादी, नारी स्वतन्त्रतावादी, समतावादी, अहिंसावादी आदि आदर्शों की स्थापना करके ऐतिहासिक चरित्र पर आधनिकता का पुट चढ़ाने में कवि को कुछ मात्रा में सफलता प्राप्त हुई है। 'परमज्योति महावीर' में चरित्र-चित्रण भगवान महावीर के चरित्र की कथावस्तु वर्णन की दृष्टि से अन्य आलोच्य महाकाव्यों से इसमें पृथक् है। इस महाकाव्य में महावीर के चरित्र का चित्रण 42 चातुर्मासों के वर्णन तथा साधना-काल के विविध उपसर्गों एवं कष्ट सहन करने के विस्तृत वर्णनों द्वारा किया है। केवलज्ञान-प्राप्ति के पश्चातू 30 साल तक जिन विविध स्थानों पर विहार किया उन बिहार-स्थलों का भी प्राकृतिक वर्णन के द्वारा चित्रण किया है। कवि सुधेश' ने अपनी प्रबल कल्पना-शक्ति के द्वारा महावीर का चरित्र-चित्रण करते समय विविध प्रसंगों एवं घटनाओं की मौलिक उद्भावना करके उनके सम्पूर्ण चरित्र को प्रभावी ढंग से चित्रित किया है। 'परमज्योति महावीर' के चरित्र-चित्रण में परम्परागत पौराणिक आख्यानों एवं पंचकल्याणक महोत्सवों की वर्णन शैली का अवलम्बन लिया है। 'सुधेश' जी की भाषा-शैली गरिमापूर्ण है। चरित्र-चित्रण शैली को माधुर्य एवं प्रसादगुणसम्पन्न बनाये रखने के लिए सुबोध, सुकोमल और जनप्रचलित भाषा का आश्रय लिया है। महावीर-चरित्र के प्रस्तुतीकरण में तैंतीस सर्गों में चरित्र के क्रमिक विकास को चित्रित किया है। चरित्रांकन में कुल 2319 छन्द हैं। आदि से अन्त तक केवल एक ही छन्द का प्रयोग किया है। महाकवि सुधेश ने चरित्र-चित्रण करते समय महावीर के जीवन और तत्सम्बन्धी घटनाओं के तम्यक् निर्वाह के साथ-साथ महावीर युगीन राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक पक्षों का समुचित निरूपण किया है। सुधेश ने अपने महाकाव्य को करुण, भक्ति एवं शान्त रस प्रधान महाकाव्य कहा है। चित्रण शैली द्वारा निश्चित रूप में पाठकों को पहावीर चरित्र के अनुशीलन से शान्तरस की रसानुभूति होती है। चरित्र-चित्रण द्वारा उनके व्यक्तित्व के सफल चित्रण के साथ उनके कृतित्व, उपदेश, आचार-संहिता, धर्म-दर्शन आदि जिनेन्द्र महावीर को दिव्यवाणी को मौलिकता को अक्षुण्ण रखने का स्तुत्य प्रयास किया है। उससे भगवान महावीर की चरित्रगत विशेषताओं-मानवतावादी, समतावादी, अहिंसावादी, भगवान गहावीर का चरित्र-चित्रण :: 135

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