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सर्ग हैं। महाकाव्य की कसौटी पर यह महाकाव्य खरा उतरता है। इसमें महावीर के लोकहितरत जीवन को प्रसादगुणसम्पन्न शैली में रचा गया है। महावीर के जीवन पर उपलब्ध प्रायः सभी पूर्ण एवं परवर्ती सन्दर्भों का गहरा अध्ययन किया गया है। इसके साथ ही ऐतिहासिक तथ्यों को ध्यान में रखकर ही अपनी कल्पना का कवि ने उपयोग किया है। काव्य और इतिहास का सुन्दर मिलाप हुआ है। कवि को इस रचना में काव्य और इतिहास को एकीकृत और परस्पर उपकारक रखने में अपूर्व सफलता मिली है। प्रस्तुत महाकाव्य में कहीं कोई ऐसा प्रसंग नहीं है जो इतिहास से असंगत हो। इस दृष्टि से कवि का यह महाकाव्य हिन्दी महावीर चरित महाकाव्य की एक अद्वितीय उपलब्धि है। प्रस्तुत काव्य में सहजता से तथ्य सत्य और कल्पना का त्रिवेणी संगम हुआ है।
काव्यशैली शब्दाडम्बर-रहित और उनके व्यक्तित्व के अनुरूप निश्चल है । इसीलिए महाकाव्य के कई प्रसंग इतने मर्मस्पर्शी बन गये हैं कि पाठकों को सहज ही आकर्षित कर लेता है। किसी भी तीर्थंकर के जीवन चरित्र पर महाकाव्य लिखना परिश्रम साध्य कार्य है । जहाँ शान्त रस प्रधान है यहाँ काव्य के लालित्य के निर्वाह में कई कठिनाइयाँ आती हैं। भगवान महावीर के जीवन में साहित्यसृजन की कोई स्पष्ट सम्भावनाएँ अब तक दिखाई नहीं पड़ती थीं । अतः बहुत कम कवियों ने महावीर चरित्र पर महाकाव्य लिखने के प्रयत्न किये हैं। किन्तु डॉ. छैलबिहारी गुप्त ने उन कटिनाइयों को पार करके महाकाव्य विधा में महावीर के चरित को उसकी सम्पूर्ण गरिमा और पवित्रता के साथ प्रस्तुत किया है।
प्रस्तुत प्रबन्ध काव्य की रचना तीर्थंकरों के चरित्र वर्णन की प्राचीन परम्परा को प्रवहमान करते हुए की गयी है। यह महाकाव्य वर्तमान समय में भगवान महाबीर के जीवन पर हिन्दी भाषा में लिखे गये महाकाव्यों में अद्वितीय है ।
भगवान महावीर के जन्म से लेकर निर्वाण तक की विशाल आध्यात्मिक यात्रा का, आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का वैज्ञानिक ढंग से विवेचन 'तीर्थकर महावीर' महाकाव्य में हमें प्राप्त होता है ।
'तीर्थंकर महावीर' में महावीर - चरित्र
तीर्थंकर महावीर की जीवनी एवं उनके उपदेश के कथ्य को कवि ने आठ सर्गों में चित्रित करके भगवान महावीर की चरित्रगत विशेषताओं को महाकाव्यात्मक शैलो में प्रस्तुत किया है।
सर्गों का आशय संक्षेप में निम्न रूप में है
प्रथम सर्ग - जन्म - कल्याण एवं शिशु
-अवस्था
इस सर्ग में निम्नलिखित प्रसंगों का चित्रण एवं विवरण महाकवि ने कलात्मक ढंग से किया है।
आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित महावीर चरित्र :: 75