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नवम सोपान - भगवान महावीर का परिनिर्वाण - महोत्सव
(1) निर्वाण क्या ?
निर्वाण का अर्थ है-पुक्ति पाना । मुक्तावस्था में पहुँचना मुक्ति का सुख या आनन्द शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता ।
(2) परिनिर्वाण - ध्यान की चौथी स्थिति शुक्लध्यान में पहुँचने पर शुद्धात्मा परमात्मा पद को प्राप्त करता है अर्थात् उसका परिनिर्वाण होता है। परिनिर्वाण में मान्यता है कि देह त्यागकर जीव जहाँ पहुँचता है (लोकाकाश का अग्रिम स्थान, सिद्ध शिला) वहाँ से लौटकर नहीं आता है अर्थात् भव-भ्रमण से मुक्त होता है।
संक्षेप में, अभयकुमार 'योधेय' ने श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार महावीर के चरित्र-चित्रण में त्रिशला माता के चौदह स्वप्नों का विश्लेषण करके गर्भान्तरण के प्रसंग को चित्रित किया है। महावीर के विविध नामों के अन्वयार्थ का प्रतिपादन करते हुए जिन घटनाओं का जिक्र किया हैं, वे प्रसंग श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार हैं। वर्द्धमान के विवाह की घटना तथा उसके सन्तान होने की मान्यता भी उक्त परम्परा की है। मुनिवेश धारण करके साधना करते समय जिन उपसर्गों एवं परीषहों को चित्रित किया गया है, वे भी उसी श्वेताम्बर परम्परा प्राप्त वर्णन हैं। महावीर के उपदेशों का सार यह है कि प्रत्येक जीव उसी की तरह साधना करके वैसा ही केवलज्ञानी बन सकता है। यह स्वयं अपना भाग्य विधाता है। व्रत, संयम, तप एवं ध्यान से हर जीवात्मा उत्थान की चरम सीमा तक अर्थात् परमात्मा पद तक पहुँच सकता है।
निष्कर्ष
आधुनिकता की धारणा का मूलाधार ऐतिहासिक चेतना है। अतः वह प्राचीन इतिहास एवं पौराणिक परम्परा से चेतन, गतिशील तत्त्वों को स्वीकार करती है। मानवी जीवन के शाश्वत - चिरन्तन मूल्यों को अपनाकर उन्हें आधुनिक परिवेश के यथार्थ पर विवेकशीलता की कसौटी पर कसकर उन्हें आचरण में लाने की बुद्धिवादी वैज्ञानिक जीवनदृष्टि आधुनिकता है। उस दृष्टि से आधुनिक ऐतिहासिक महाकाव्यों में आधुनिकता का रंग भरा गया है |
प्रस्तुत ग्रन्थ के अनुशीलन का विषय हिन्दी महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर होने से महावीर चरित्र के आधुनिक छह महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर के चरित्र का अनुशीलन प्रस्तुत किया गया है। आधुनिक महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर के चरित्र का अध्ययन प्रस्तुत करने पर निष्कर्ष के रूप में निम्न तथ्य प्राप्त होते हैं
(1) जैनधर्म के अन्तिम 24वें तीथंकर जैनधर्म के समुन्नायक, प्रबल प्रवर्तक, ऐतिहासिक महावीर के समग्र जीवन की अभिव्यक्ति समस्त आलोच्य
90 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर