Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 62
________________ आध्यात्मिकता के आधार पर किया है। जैनदर्शन के अनुसार आत्म-विकास की यह सर्वोच्च अवस्था अरिहन्त, तिद्ध रूप हैं । केवलज्ञान, सर्वज्ञ, अरिहन्त होने पर भगवान महावीर ने आहेसा, मानवतावाद तथा अनेकान्तवाद का उपदेश दिया। 'परमज्योति महावीर' महाकाव्य है। यह धर्म, वीर एवं शान्तरस प्रधान महाकाव्य है। इसमें महाकाव्य के लक्षण पाये जाते हैं। गम्भीर और खोजपूर्ण अध्ययन से महावीर के चरित्र को प्राकृतिक सरल रचना शैली में प्रस्तुत किया है। भगवान महावीर के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष इन पाँचों कल्याणकों के वर्णन द्वारा उनके चरित्र की अतिशयता-अलौकिकता का चित्रण करना कवि का उद्देश्य रहा है। प्रासंगिक रूप में नगर, राजा, रानी, प्रजा, ऋतु आदि का सुन्दर चित्रण किया गया है। संवाद एवं कथोपकथन भी रोचक और मनोवैज्ञानिक हैं। विषय-वस्तु की दृष्टि से इसे सफल महाकाव्य कहा जा सकता है। 'वीरायन' महाकाव्य __ प्रस्तुत महाकाव्य को स्वयं कवि ने 'महावीर मानस महाकाव्य' कहा है। कवि की साहित्य सृष्टि विपुल है। उनकी चौदह काव्यकृतियाँ हिन्दी साहित्य में उपलब्ध हैं, जिनमें से 'जननायक' नामक महाकाव्य है। प्रस्तुत 'वीरायन' महाकाव्य वीर निर्वाण सं. 2500 (सन् 1974) में भारतोदय प्रकाशन, 204 ए-वैस्ट एण्ड रोड, सदर मेरठ से प्रकाशित किया गया है। महाकवि रघुवीरशरण 'मित्र' ने जिनेन्द्र भगवान महावीर की वन्दना, अर्चना तथा उनकी अमर वाणी, आप्त वचनों का सुदूरगामी और दीर्घकालीन प्रभाव-प्रसार के उद्देश्य से ही प्रस्तुत महाकाव्य की रचना की है। महाकाव्यकार के शब्दों में भश्रद्धा ने तपस्या का व्रत लिया, संकल्प किया कि तपालोक वीर भगवान पर महाकाव्य रचूंगा। अपनी लघुता और भगवान महावीर की गुरुता का भरोसा किया...। वीरायन महाकाव्य से भगवान महावीर का अर्चन किया है और काव्य रचने का उद्देश्य जन-जन में भगवान महावीर की वाणी का सन्देश देना... । मेरी यह रचना स्वान्तः सुखाय होते हुए भी लोकहितकारी है।" यह महाकाव्य 360 पृष्ठों का है। भगवान महावीर के चरित्र की प्रमुख घटनाओं के सन्दर्भ में शीर्षक देकर कुल पन्द्रह सगों में भगवान महावीर की चरित्रगत विशेषताओं को अंकित किया है। प्रस्तुत प्रबन्ध काव्य में महाबीर की समस्त चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है। 'वीरायन' में महावीर-चरित्र प्रथम सर्ग-पुष्पप्रदीप प्रधम सर्ग में मंगलाचरण के रूप में अनेक देवी-दवताओं के स्तुति की गयी है। 68 :: हिन्दी के गहाकाब्बों में चित्रित भगवान पहावीर

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