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|| श्री महावीराय नमः ||
अथ श्री गयवर विलास
अर्थात्
बत्तीस सूत्र में सिद्ध मूर्ति पूजा
प्यारे पाठको ! अब हम प्रतिमा छत्तीसी में कहे हुए सूत्रों से प्रतिमा व प्रतिमा पूजन की सिद्धि करके बतलाते हैं । एक चित्त से ध्यान देकर पढ़ो -
आदि मंगल पांच अक्षर दोहा
अरिहंत सिद्ध ने आयरिय, उवज्झाया अणगार । पंच परमेष्ठि वांदीने, स्तवन रचुं शुभसा ॥1॥
अर्थ - प्ररिहत श्रादि पंच परमेष्ठि को नमस्कार करके स्तन प्रारम्भ करता हूँ ।
चार निक्षेपा जिन तणा, सूत्रों में वंदनीक | भोला भेद जाणे नहीं, जिन आगम प्रत्यनीक ॥1॥ अर्थ — सूत्र में भगवान का चार निक्षेपा नाम जिणा जिण नामा, ठबणजिणा पुण जिणंदपडिमा दब्ब जिणा जिण जीबा, भाव जिणा समवसरणत्था || 1 ||
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