Book Title: Gayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukanraj S Porwal

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Page 5
________________ (ग) प्रिय ! सच बात तो यह है कि कोई भी स्थानकवासी 32, 45 या 84 आगम में यह तो बतलावें कि जिन प्रतिमा की वन्दना पूजना से अमुक साधु या श्रावक नारकी में गया । सो तो किसी सूत्र में है नहीं । न आज तक कोई ऐसा प्रमाण किसी स्थानकवासी ने दिया है। साधु श्रावक ने जिन प्रतिमा वन्दी-पूजी है वो अब हम 32 सूत्र में दिखाते हैं। सज्जनों से निवेदन करता हूं कि मुझे गृहवास में संस्कृत का मभ्यास नहीं था। फिर मैंने पहले स्थानकवासीबों के पास दीक्षा ली। उनके अन्दर ऐसा बन्द रखा कि साधु को व्याकरण नहीं पढ़ाना इसीसे व्याकरण पढ़ने को मेरो इच्छा अपूर्ण ही रही। इसी से इस पुस्तक में ह्रस्व-दीर्घ मादि की भूलें रह गई होगी तो सज्जन कृपा करके सुधार कर हमें सूचना देंगे तो उपकार मानते हुए स्वीकार करेंगे । दूसरे संस्करण में वे भूलें सुधारी जावेगी। वीर संवत् 2443 -मुनि ज्ञानसुन्दर CIA

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