Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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६. श्री मुनिसुंदरसूरिविरचितं
श्री गौतमस्वामि स्तोत्रम्
जयश्रियां सेवधिमेघमान-समग्रलब्धिहदिनीनदीशम् । सुरासुरेन्द्रालिविधीयमान-क्रमाम्बुजोपासनभासमानम्............... ।।१।।
सहस्रपत्राद्भूतहेमप (मध्ये), पद्मासनासीनमदीनमेधम् ।
जगत्र्यैक प्रभुताप्रभाव प्रभाऽभिरामं मुनिराजिराजम्......... ।।२।। अनुत्तरब्रह्ममयं निरङ्क-मृगाङ्कबिन्बोज्ज्वलकामकान्तिम् । श्रीवर्द्धमानादिमशिष्यनाथं, श्रीगौतमस्वामिनमानुवामि.. .......... ।।३।।
[विशेषकम्] निदेशतो वीरजिनेश्वरस्य, दरप्रमश्लोकमितं व्याधाद्यः ।
श्रीसूरिमन्त्रं त्रिजगद्हितैषी,स गौतमो रातु ममेष्टसिद्धिम्.... ।।४।। सरस्वती विश्वहितावधाना, सूरीश्वरध्यानपदप्रभावा। सहस्रहस्तप्रथिता त्रिलोकस्वामिन्यपि प्रार्थितशस्तदात्री............. ।।५।।
श्रीदेवता विश्वविमोहनी चा सुरेन्द्रवर्गस्तवनीयरूपा।
यक्षाधिपो विंशतिशस्तहस्तस्फुरज्जगज्जैत्रपराक्रमश्च........ ।।६।। इन्द्राश्चतुः षष्टिरभीष्टदाश्च, त्रिलोकरक्षाप्रभवत्प्रभावाः । यक्षाश्चतुर्विंशतिरार्हताहिसेवापवित्रीक्रियमाणगात्रा:................ ।।७।।
देव्योऽपि दिव्याव्ययशक्तियुक्ता,भक्ता जिनेष्वाहतभद्रसक्ताः ।
उपासते यं गणधारीमन्त्रा-धिष्ठायिका नित्यमचिन्त्यभक्त्या. ।।८।। यन्नाममन्त्रोऽपि जयत्यचिन्त्यशक्तिर्मरुत्कुम्भमणिद्रुमादीन् । तं सर्व चिन्तातिगशर्महेतुं, श्रीगौतमं नौमि भवाब्धिसेतुम्........ ।।९।।
पदं यथाऽब्धिस्तटिनीतटीना, खं तारकाणां विटपी लतानाम् । तथा विभो! गौतम! सर्वलब्धिप्रभा महिम्नां भगवंस्त्वमेव. ।।१०।।
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