Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 90
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनंत सिद्ध मुक्ति गया, फेर अनंता जाय हो गौतम; और जग्या रूंधे नही, ज्योतिमा ज्योति समाय हो गौतम. शिव. ।।१५।। ए अर्थ रूपी सिद्ध कोई, ओळखे आणी मन वैराग्य हो गौतम; शिवसुंदरी सहेजे वरे, नय नामे सुख अथाग हो गौतम. शिव. ।।१६।। (२) श्री केशी ने गौतम गणधरनी सज्झाय ए दोय गणधर प्रणमीये, केशी गोयम गुणवंत हो मणिंद; बहु परिवारे परिवर्या, चउनाणी गुण गाजंत हो मुणि; ए दोय गणधर, प्रणमीये ।।१।। संघाडा दोय विचरंता, एकदा गौचरीए मीलंत हो मुणिंद; पुछे गौतम शिष्य तिहां, तुमे कुण गच्छना निग्रंथ हो; ___ मु. ए दोय. ।।२।। अम गुरू केशी गणधरु, प्रभु पास तणा पटधार हो मुणिंद; सावत्थी पासे समोसर्या, तिहां तंदुकवन मनोहार हो मु. ए दोय. ।।३।। चार महाव्रत अम तणां, कारणे पडिक्कमणां दोय हो मुणिंद; रातां पीळां वस्त्र वापरू, वली पंचवरण जे होय हो; मु. ए दोय. ।।४।। शुद्ध मारग छे मुक्तिनो, अमने कल्पे राजपिंड हो मुर्णिद; पास जिनेसर उपदिशे, तुमे पालो चारित्र अखंड हो; मु. ए दोय. ।।५।। For Private And Personal Use Only

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