Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 115
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करता है. इस विभाग में जैन एवं भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित लगभग एक लाख से भी ज्यादा मुद्रित पुस्तकें व मुद्रित प्रतें संग्रहित हैं. इन पुस्तकों की सुरक्षा हेतु आगे पीछे दोनों ओर खुलने वाली आलमारियों की सुन्दर व्यवस्था की गई है. सभी पुस्तकों पर लेमिनेटेड खाखी कागज का आवरण चढ़ाया गया है जिससे पानी तथा धूल से इन्हें क्षति न हो. नियमित समयबद्ध कार्यक्रमानुसार इन ग्रंथों का विशेष रूप से वने चेम्बर में केमिकल्स द्वारा फ्यूमिगेशन किया जाता है. इस संग्रह को इतना समृद्ध करने की योजना है कि जैन धर्म से सम्बन्धित कोई भी जिज्ञासु यहाँ आने पर अपनी जिज्ञासा परितृप्त कर के ही जाए. अभी ९६,००० से ज्यादा पुस्तकों की विशद् सूचनाएँ कम्प्यूटर पर उपलब्ध हैं जो अन्यत्र किसी भी ग्रन्थालय में उपलब्ध नहीं हो पाती. इन पुस्तकों के उपयोगकर्ताओं में विशेष रूप से जैन समाज के साधु-साध्वी भगवन्त, मुमुक्षु वर्ग, श्रावक वर्ग तथा संशोधक विद्वान सम्मिलित हैं. पुस्तकों की उपलब्धता व शोध सहित लेन-देन तक की सभी प्रक्रियाएँ कम्प्यूटर द्वारा बहुत ही सरल एवं सुविधापूर्ण पद्धति से संचालित की जाती है. आर्य रक्षितसूरि शोधसागर : आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञान मन्दिर के इस प्रकल्प का मुख्य ध्येय जैन परम्परा के अनुरूप जैन साहित्य के सन्दर्भ में गीतार्थ निश्रित शोध-खोल/अध्ययन- संशोधन हेतु यथा सम्भव सामग्री व सुविधाओं को उपलब्ध कराकर उसे प्रोत्साहित करना व सरल/सफल बनाना है. ११ कम्प्यूटरों, ४ प्रिंटरों, १ स्केनर तथा १ डिजिटल कॉपियर कम प्रिन्टर व १ फोटोस्टेट मशीन से सुसज्ज इस अनुभाग में अध्येताओं को ज्ञान मंदिर में उपलब्ध सभी ०७ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124