Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 98
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१५) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य के शरीर में जलन- जलन होती हो ऐसी दाहज्वर की बिमारी किस पाप से होती है? उत्तर- हे गौतम! घोड़े बैल आदि पशुओं को भूखे और प्यासे रखने से तथा उन पर हैसियत से अधिक बोझा लाद (भर) देने से दाहज्वर की बिमारी होती है। (१६) प्रश्न- हे भगवन्! किसी किसी मनुष्य का चित्त भ्रम हो जाता है वह किस पाप से होता है। उत्तर- हे गौतम! अभिमान करने से तथा मद मांस और गुप्त रीति के अनाचारों का सेवन करने से मनुष्य का चित्त भ्रम हो जाता है। (१७) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य के पत्थरी की व्याधि किस पाप से होती है? उत्तर- हे गौतम! जो मनुष्य पुत्री, बहन, माता, मासी आदि कह कर उनके साथ गुप्त रीति से व्यभिचार सेवन करता है उसके पत्थरी की बिमारी होती है। (१८) प्रश्न- हे भगवन्! स्त्री पुरुष, पुत्र, पुत्री और शिष्य आदि किस पाप के फल स्वरूप से कुपात्र होते हैं। उत्तर- हे गौतम! निष्कारण ही सगे स्नेहियों के साथ या दूसरे मनुष्यों के बीच में बैर को खडा कर देते हैं अथवा बढ़ा देते हैं वे कुपात्र होते हैं! (१९) प्रश्न- हे भगवन! मनुष्य के बड़े ही लाड़ प्यार से पाला पोषा हुआ पुत्र युवावस्था ही में मर जाता है वह किस पापोदय से? उत्तर- हे गौतम! दूसरों की रखी हुई अमानत को हड़प जाने से पाला पोषा हुआ पुत्र मर जाता है। (२०) प्रश्न- हे भगवन! मनुष्य के पेट का रोग किस पाप से होता है! ७० For Private And Personal Use Only

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