Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 109
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकीर्णक कविवर श्री सौभाग्यविजयजी गौतमस्वामी के छंद में गौतमस्वामी की महिमा बताते हैं :दुष्ट दूरे टळे स्वजन मेळो मळे, आधि व्याधि ने उपाधि नासे । भूतनां प्रेतना जोर भांजे वली, गौतम नाम जपतां उल्लासे ।। महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म. सा. ने गणधर भास की रचना में सुधर्मास्वामी तक के पांच गणधरों की स्तवना करते हुए श्री गौतमस्वामी की स्तवना उन्होंने इस प्रकार की है :सुरतरु जाणी सेविलो, बीजा परिहारिया बाउलियारे । ए गुरु थिर सायर समो, बीजा तुच्छ वहई वाउळियारे ।। आचार्य श्री पार्थचन्द्रसूरिजी ने श्री गौतमस्वामी के लघु रास में गौतमस्वामी की महिमा का इन शब्दों में वर्णन किया है :गौतम नामे छिपे पाप, गौतम नामे टळे संताप। गौतम नामे खपे सवि कर्म, गौतम नामे होय शिवशर्म ।। कवि श्री शांतिदास के बनाए हुए गौतमस्वामी के रास में गौतमस्वामी की महिमा का वर्णन करती वाणी को पढ़ें :वैरि मित्रज सरीखां थाय, गौतम नामे प्रणमे पाय; राजा माने सहु को नमे, गौतम नाम हृदयमां रमे । जी जी कार सहुको करे, बोल्युं वचन नवि पार्छ फरे; कीर्तिवेळ जग प्रसरे बहु, गौतम नामे छे ए सहु ।। ८१ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124