Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 100
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोगों से कहे कि तुम अमुक सरकार के गुनेहगार हो ऐसे झूठे इलजाम उनके सिर लगा के उनके मार्मिक स्थान एवं हाथ, पाँव, नाक, कान आदि अवयवों को छेदन भेदन करे तथा जिसने अपने शरीर के सुन्दर रूप का अभिमान किया हो वह काला कुरूप मनुष्य होता है। (२५) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य के शरीर में कीड़े किस पाप से पड़ जाते हैं। उत्तर- हे गौतम! जिस मनुष्य ने मच्छी, केंकड़े आदि मूल जीवों को त्रास पूर्वक मार कर खूब खाया हो उस मनुष्य के शरीर में कीड़े पड़ जाया करते हैं। (२६) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य या स्त्री पर मिथ्या कलंक किस पाप से आता है? उत्तर- हे गौतम! जिसने दूसरे के सिर पर जैसा मिथ्या कलंक दिया हो वैसा ही मिथ्या कलंक उस मनुष्य या स्त्री के सिर पर भी आता है। (२७) प्रश्न- हे भगवन् कोई भी रोजी आदि की प्राप्ति में बाधा (विघ्न) आकर खड़ी होती है वह किस पाप से होती है? उत्तर- हे गौतम! अन्य जीवों को भोगोपभोग की सामग्रियां मिलती हों उनमें रोड़े अटका दिये हों तथा रोजी एवं व्यापार आदि में भी बाधा खड़ी कर दी हो उस मनुष्य के प्रत्येक वस्तु की प्राप्ति में बाधा आ खड़ी होती है। (२८) प्रश्न- हे भगवन् नपुंसक किस पाप से होता है? उत्तर- हे गौतम! जो बैल, घोड़े, मनुष्य आदि के अंडकोषों को शस्त्र पत्थर आदि से छेदन भेदन करता हो तथा औषधि आदि के द्वारा मर्द को नामर्द (नपुंसक) बनाता हो अथवा कपट सेवन ७२ For Private And Personal Use Only

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