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लघु गौतम पृच्छा
| मङ्गलाचरण ।। मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतम प्रभुः ।। मंगलं स्थूलभद्राद्या, जैनधर्मोस्तु मंगलं......... ।।१।।
पाठकों! कैवल्य ज्ञान के धारक श्री भगवान महावीर स्वामीजी से श्री गौतम स्वामीजी ने विनय पूर्वक प्रश्न किये। उन प्रश्नों में से कुछेक यहां उद्धृत करते हैं। (१) प्रश्न- हे प्रभो! मनुष्य निर्धन और कंगाल किस पाप के उदय से
होता है? उत्तर- हे गौतम! जिसने दूसरे के धन को चुराया हो, दान देते हुए को
मना किया हो वह मनुष्य निर्धन और कंगाल होता है। (२) प्रश्न- हे भगवन्! भोग उपभोग की सामग्रियां सभी स्वाधीन होते हुए
भी जो मनुष्य उन्हे भोग नहीं सकते यह किस पाप के उदय से? उत्तर- हे गौतम! जो मनुष्य दान पुण्य कर फिर उसका पश्चाताप करता _है कि मैंने बहुत बुरा किया है वह नर भोग (वह चीज जो एक वक्त
ही काम में आ सकती हो जैसे भोजन वगैरह) और उपभोग (जो बार बार काम में आ सकती हो जैसे वस्त्र आभूषण वगैरह) की
सामग्रियें स्वाधीन होते हुए भी उन्हें भोग नहीं सकता है। (३) प्रश्न- हे भगवन्! किसी किसी मनुष्य के संतान नहीं होती है वह
किस पाप के उदय से? उत्तर- हे गौतम! रास्ते पर हरे भरे वृक्षों को काटने या दूसरों से
कटवाने से उस मनुष्य के संतान नहीं होती है। (४) प्रश्न- हे भगवन! स्त्री जो वंध्या होती है वह किस पाप से होती है।
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