Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ...... ।।२।। .... ..... ।।३।। .......।।४।। व्यभूषयद् गोबरपत्तनं यो, माता यदीया पृथिवी सुशीला । पिता यदीयो वसुभूतिविप्र स्तमिन्द्रभूतिं गणिनं नमामि. श्रीवाडवज्ञाति-नभोमणिर्यो, वेदान्तविद्यासु महाप्रवीणः । यज्ञादिकार्येषु सदाऽनुरक्तोव्यस्तारयद्दिक्षु गुणान् स्वकीयान्.. येनात्मवंशोन्नतिरुन्नतेन, सतां मतेनोच्चगुणालयेन । तेन महानन्दमयेन शस्त व्रताऽनुयोगेन दयामयेन. सर्वसहानाथनतक्रमेण, क्रमेण लूनाऽखिलविघ्नकेन। येन क्रियाकाण्डरतेन भूतिर्वत्रे जगद्विस्मयदानदक्षा...... योऽदीनभावः शुभभावनाभिविद्यावतां पूज्यमहाप्रभावः । विस्तारयामास गुणानुवादी, ग्रन्थाननेकाजिनवम॑गामी विभावितात्माऽनुभवः सुयोगी, प्रशस्तलब्धिप्रथितप्रभावः । योऽधारयन्मुख्यगणाऽऽधिपत्यं, जिनेशितुः पादसरोजसन्निधौ. ....... ।।६।। . ।।७।। २६ For Private And Personal Use Only

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