Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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चैत्यवंदन विभाग
(१) चैत्यवन्दन
.... ।।१।।
.... ।।२।।
.........।।३।।
बिरुद धरी सर्वज्ञमुं, जिन पासे आवे । मधुरे वचने वीरजी, गौतम बोलावे.. पंचभूतमांहे थकी जे, उपजे विणसे। वेदअरथ विपरीतथी, कहो किम भवतरसे. दानदयादम त्रिहुं पदे ए, जाणे तेह ज जीव ।। ज्ञानविमल धन आतमा, सुखचेतना सदैव..
(२) चैत्यवन्दन नमोगणधर नमोगणधर, लब्धिभंडार । इन्द्रभूति महिमा निलो, वड वजीर महावीर केरो गौतम गोत्रे उपन्यो, गणि अग्यारमाहे वडेरो। केवळज्ञान लघु जिणे दीवाली परभात । ज्ञानविमल कहे जेहना नाम थकी सुखसात......
(३) चैत्यवन्दन
......... ।।१।।
इंद्रभूति पहेलो भj, गौतम जस नाम । गौबरगामे उपन्या, विद्यानां धाम................................. ।।१।। पंचसया परिवारशुं, लेइ संयम भार ।। वरस पचास गृहे वस्या, व्रते वर्ष ज त्रीश.... ......... ।।२।। बारवरस केवल वर्या ए, बाणुं वरस सवि आय। नय कहे गौतम नामथी, नित्य नित्य नवनिधि थाय........... ।।३।।
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