Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६) श्री गौतमस्वामीन अष्टक अंगूठे अमृत वसे, लब्धि तणा भंडार । ते गुरु गौतम समरिए, वांछित फळ दातार... ... |19 ।।
प्रभुवचने त्रिपदी लही, सूत्र रचे तेणीवार
चउदह पूरवमां रचे, लोकालोक विचार................... ।।२।। भगवती सूत्रे धुर नमी, बंभी लिपी जयकार । लोक-लोकोत्तर सुखमणी, भारवी लिपी अढार ..... ......... ।।३।।
वीर प्रभु सुखिया थया, दिवाली दिनसार
अन्तर्मुहूत ततक्षणे, सुखियो सहु संसार... ........ ।।४।। केवलज्ञान लहे यदा, श्री गौतम गणधार । सुरनर हरख धरी तदा, करे महोत्सव उदार....... ............ ।।५।।
सुर-नर परषदा आगले, भाखेश्री श्रुतनाण ।
नाण थकी जग जाणीए, द्रव्यादिक चउठाण.. ते श्रुतज्ञानने पूजिए, दीप धूप मनोहार । वीर आगम अविचल रहो, वरस एकवीस हजार.............. ।।७।।
गुरु गौतम अष्टक कहो, आणी हर्ष उल्लास ।
भाव धरी जे समरशे, पूरे सरस्वती आश... ........ ।।८।। नोट :- आठवी कड़ी इस प्रकार भी मिलती है। शासन श्री प्रभु वीरनुं समजे जे सुविचार । चिदानंद सुख शाश्वता पामे ते निरधार..
..... ।।८।।
...... ।।६।।
४७
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124