Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भूतना प्रेतना जोर भांजे वळी, गौतम नाम जपतां उल्लासे. मात० तीर्थ अष्टापदे आप लब्धे जई, पनरसें त्रणने दिक्ख दीधी; अठ्ठमने पारणे तापस कारणे, क्षीर लब्धे करी अखूट कीधी. मात०. वरस पचास लगे गृहवासे वस्या, वरस वळी त्रीश करी वीर सेवा; बार वरसां लगे केवळ भोगव्युं, भक्ति जेहनी करे नित्य देवा. मात०. महियल गौतम गोत्र महिमा निधि, गुणनिधि ऋद्धि सिद्धिदायी; उदय जस नामथी अधिक लीला लहे, सुजस सौभाग्य दोलत सवाई. मात. (५) श्री गौतमस्वामीनो छंद पेलो- गणधर वीरनो रे, शासननो शणगार; गौतम गोत्र तणो धणी रे, गुणगण रयण भंडार. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्येष्ठा नक्षत्रे जनमिया रे, वसुभूतिसुत पृथ्वी तणो रे, ए तो नवनिधि होय जस नाम, ए तो पुरे वांछित ठाम, ए तो गुणमणि केरो धाम, ।।६।। For Private And Personal Use Only ।।७।। ।।८।। जयंकर जीवो गौतम स्वाम । ।।९।। जयंकर जीवो गौतम स्वाम गोबर गाम मोझार; मानव मोहनगार . जयंकर जीवो गौतम स्वाम ||२ || ४५ 119 11

Loading...

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124