Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (४) श्री गौतमस्वामीनो छंद राग प्रभाती. मात पृथ्वी सुत प्रात उठी नमो, गणधर गौतम नाम गेले; प्रह समे प्रेमशुं जेह ध्यातां सदा, चढती कळा होय वंश वेले. वसुभूति - नंदन विश्वजन-वंदन, दुरित - निकंदन नाम जेहनुं; अभेद बुद्धे करी भविजन जे भजे, मात० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूर्ण पहोंचे सही भाग्य तेहनुं. मात०. सुरमणि जेह चिंतामणि सुरतरू, कामित पूरण कामधेनुः एह गौतम तणुं ध्यान हृदये धरो, जेह थकी अधिक नहीं महात्म्य केहनुं. मात० ज्ञान बळ तेज ने सकळ सुख संपदा, गौतम नामथी सिद्धि पामे; अखंड प्रचंड प्रताप होय अवनिमां, सुरनर जेहने शिष नामे. मात०. प्रणव आदे धरी माया बीजे करी, स्वमुखे गौतम नाम ध्याये; कोडि मन कामना सकळ वेगे फळे, विघन वैरी सवे दूर जाये. मात० दुष्ट दूरे टळे स्वजन मेळो मळे, आधि उपाधि ने व्याधि नासे: ४४ For Private And Personal Use Only ।।१ ।। ।।२ ।। ।।३।। ।।४।। ।।।५।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124