Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
स्मरन्ति यन्नाम विभातकाले, महाशया ये शिवभूतिकामाः । तेषां न दारिद्र्यपिशाच ईशः, पराजयं कर्त्तुमनर्थमूलः.. मेधाविनो ये स्मृतिमानयन्ति, यन्नाम सद्भूतिविधानदक्षम् । व्रजन्ति ते मङ्गलमालिकाश्च, परत्र संपत्तिमखण्डितां वै.
अजितसागरसूरिविनिर्मितां, प्रथितपुण्यमयीं सुखशेवधिम् । पठति यः स्तुतिमाद्यगणेशितुः, स लभते शिवशर्म निरामयः..
गौतमस्वामिनः प्रातः,
www.kobatirth.org
स्मरणं मङ्गलप्रदम् ।
सोपानं स्वर्गसम्पत्ते
र्मोक्षशर्मनिकेतनम्..
( १७ ) श्री गौतमप्रशस्तिः
श्री वर्द्धमानं प्रणिपत्यपूज्यं, गुरूं च मूर्ध्ना शुभ तत्त्वहेतुम् । श्री गौतमस्य प्रवरस्य वक्ष्ये, गुणान्गुणक्षीरनिधेः प्रभूतान्.. गोवरग्राम आराम-मण्डितोऽभूत्क्षितौ वरः । वसुभूति द्विजस्तत्र वरेण्यः पृथिवी प्रियः.
एकदा सुखशय्यायां निद्राणा सा सुलक्षणा इन्द्रसाधं सुधागौरं ददर्श दिग्विभासकम्..
,
३१
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only
।। ३२ ।।
।। ३३ ।।
।।३४।।
।।३५ ।।
।।१ ।।
।।२।।
।।३।।

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124