Book Title: Gautam Nam Japo Nishdish
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 57
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ........ अथाऽऽप्तसर्वस्व इवाऽतिहृष्टः, पूर्णात्मकामश्च विभुप्रभावात् । स्मरन्गुणाँस्तीर्थकृतां स भव्यानवातरद् भूरिमुदागिरीन्द्रात्.. ।।२०।। तीर्थप्रभावेण पवित्रिताऽऽत्मा, ज्ञानप्रभाभासुरदिव्यदेहः । अक्षीणलब्धिप्रथितप्रभावो, निवर्तमानः स महानुभावः............. ....।।२१।। वह्यभ्रवाणेन्दु(१५०३)मितांस्तपस्विनः, प्रपेदिवान् ध्याननिमग्नचेतसः । मार्गस्थितान् गन्तुमशक्तदेहानष्टापदं तीर्थकृतां दिदृक्षया. ।।२२।। तपः प्रभावेण विराजमानास्त्यक्ताऽशना निर्मलचित्तभावाः । स्थिराशयास्तत्र यियासवस्ते, सर्वे हि वाञ्छन्त्यनुकूललाभम्. ... ।।२३।। समीक्ष्य तत्तापसवृन्दमाराद्व्रतीन्द्र इष्टार्थविधानदक्षः । सभाजितस्तैर्निजदृष्टिल:स्तस्थौ क्षणं तत्र परोपकृत्यै. ।।२४।। महामहिम्नां वरमास्पदं यो, निदानमेकं सुखसम्पदानाम् । नानाऽर्थलब्धिप्रभवो वभूवप्रत्यक्षमूर्तिः शुभभावनानाम्.. ....... ।।२५ ।। २२ For Private And Personal Use Only

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